हमारें प्रेरणा स्त्रोत स्व डा. रामचन्द्र विकल जी स्वतंत्रा सेनानी, गौतम बुद्ध नगर निर्वाचन क्षेत्र से पहली से पांचवी 1952-1971 तक लगातार सदस्य, उत्तर प्रदेश विधान सभा रहे। 1971 से 1977 तक बागपत, उत्तर प्रदेश, लोक सभा से सांसद रहे, तथा 1984 से 1990 तक उत्तर प्रदेश से राज्य सभा के सदस्य रहे तथा उत्तर प्रदेश सरकार में उन्होने उप मुख्यमंत्री के रुप में भी अपना योगदान दिया। उन्होने अपने कार्यकाल के दौरान कई प्रतिष्ठित पदों पर जिनमें से 1967 में संयुक्त विधायक दल के नेता एवं नेता विपक्ष रहे और कृषि, सिंचाई, वन, पशुपालन, आबकारी, जेल और मत्सय पालन जैसे विभिन्न मंत्रालयो में मंत्री के रुप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
25 अगस्त, 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री जी, के द्वारा पहली विधान सभा के चौदह जीवित सदस्यों का सम्मान विधान सभा सत्र के दौरान किया गया, उनमें से एक डा. रामचन्द्र विकल जी भी थे।
उनका जन्म, भरण-पोषण, शिक्षा गौतम बुद्ध नगर में समपन्न हुई। अपना सारा जीवन लोगों के लगातार विकास के लिए समर्पित किया। एक शिक्षक के रुप में भी उन्होने क्षेत्र को योगदान दिया। उनका गाँव एवं जन्म स्थान नया गाँव बसंतपुर परी चौक से लगभग दस किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
अपनी बाल अवस्था में उन्होने महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव जो उस समय नलगडा के जंगलो में छिपे थे उनको रोजाना भोजन उपलब्ध कराने का कार्य किया जो परी चौक से लगभग पाँच किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
उनके उत्कृष्ठ राजनैतिक कार्यो के लिए 13 अप्रैल, 1986 को गुरुकुल महाविधालय, ज्वालापुर (हरिद्धार) द्वारा विधा वाचस्पति (डी.लिट.) (मानद) उपाधि से सम्मानित किया गया जो कि प्रथम राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद जी और प्रथम प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहर लाल नेहरु जी के बाद उपाधि पाने वाले तीसरे व्यक्ति थे। आर्य समाज में भी उन्होने प्रमुख वक्ता, संऱक्षक, चेयरमैन औऱ सदस्य के रुप मे काम किया।
महात्मा गांधी जी की मृत्यु के दिन से ही उन्होने अपने शिक्षण कार्यो को छोड़कर सक्रिय राजनीति में शामिल हो गये। विश्व शांति के लिए कार्य किया औऱ इस संबंध में 1970 मे जापान में हुए विश्व शांति सम्मेलन में भाग लिया और जापान के फिजी गुरुजी के साथ भी व्यक्तिगत संबंध रहे। 1952 में उत्तर प्रदेश के किसानो से वसूली जा रही सिंचाई की दरों को कम करवाया। किसानों के लगान माफ कराने के लिए भी संधर्ष किया। 1962 में किसानों के लगान बढ़ाने का भी विरोध किया। 26 जनवरी, 1963 को किसानो द्वारा दादरी, गौतम बुद्द नगर, उत्तर प्रदेश में चाँदी से तोला गया जिसको उन्होने राष्ट्रीय सुरक्षा कोष के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पंडित जवारह लाल नेहरु को सौंप दिया। अपने क्षेत्र में शिक्षा के लिए उन्होने 100 से अधिक प्राथामिक पाठशालाएँ, इन्टर कालेज, डिग्री काँलेज, मेरठ में मेडिकल काँलेज, फैजाबाद और कानपुर में कृषि विश्वविधालय खुलवाए। आगरा, उत्तर प्रदेश से उन्होने बेसिक टीचर और प्राइमरी टीचर की डिग्री हासिल की। फुलपुर, इलाहावाद में उर्वरक कारखाना खुलवाने में महत्वपूरण भूमिका अदा की। मेरठ और गढवाल विश्वविधालय खुलवाए।
शाहदरा- सहारनपुर रेलवे लाइन का कार्य करवाया और छोटी लाइन से बड़ी लाइन में परिवर्तित करवाया। गढमुक्तेश्वर, गाजीपुर में गंगा नदी पर तथा बागपत, कैराना, पलवल में यमुना नदी पर पुल बनवाया। उत्तर प्रदेश में अनेकों कमीश्नरी, जिले तथा तहसील बनवाए और उनका पुर्नगठन करवाया।
1967 में उन्होने अध्य़क्ष गुरुकुल महाविधालय ज्वालापुर, गुरुकुल सिकन्दराबाद, गौतम बुद्ध नगर, अध्यक्ष आश्वासन समिति, उत्तर प्रदेश विधानसभा में 1970-71 तक योगदान दिया। अध्यक्ष भारतीय राज्य फार्म निगम 1982-84 तक, औधोगिक प्रशिक्षण संस्थान, गौतम बुद्ध नगर और दुहई, अध्यक्ष जिला परिषद बुलंदशहर 1948, उत्तर प्रदेश प्राक्कलन समिति दो वर्षो तक, सिंचाई, विधुत, वित्त, केन्द्रीय लोक निर्माण और लघु बचत संबंधी स्थायी समिति में कई वर्षो तक सदस्य रहे। उधोग बोर्ड उत्तर प्रदेश सरकार में 1960-62 तक सदस्य रहे। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्षो की तालिका में 1969-70, राज्य सभा की कार्य मंत्रणा समिति में सदस्य 1984-85 तक, राज्य सभा के आवास समिति में 1986-87 तक.
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होने आस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर, हांगकांग, थाईलैंड, नेपाल, मलेशिया, मारिशस, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, हौलैंड, बेल्जियम और पश्चिमी जर्मनी, चीन तथा रुस की यात्रा की।
गांधी जी की मूर्ति स्थापित करने के लिए अध्यक्ष के रुप में डा. रामचन्द्र विकल जी को रुस भेजा गया।
अपने दादा जी विचारधारा को आगे बढ़ने के लिए हमने फ्रीडम फाइटर डॉ रामचन्द्र विकल नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना की है |
A leader is someone who helps improve the lives of other people or improve the system they live under.